भारतीय सेना और यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (यूएसआई) ने मानेकशॉ सेंटर में “लेफ्टिनेंट जनरल पीएस भगत मेमोरियल व्याख्यान” के दूसरे संस्करण का आयोजन किया। इस व्याख्यान का विषय “उभरते भारत के दृष्टिकोण को साकार बनाने में सशस्त्र बलों का योगदान” था। इस व्याख्यान का आयोजन 14 अक्टूबर 2022 को सेनाध्यक्ष (सीओएएस) द्वारा यूएसआई में स्थापित लेफ्टिनेंट जनरल पीएस भगत मेमोरियल चेयर ऑफ एक्सीलेंस के अंग के रूप में आयोजित किया गया था।
अरुणाचल प्रदेश के माननीय राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल केटी परनायक (सेवानिवृत्त) ने “उभरते भारत के दृष्टिकोण को साकार बनाने में सशस्त्र बलों का योगदान” विषय पर अपना मुख्य संबोधन दिया। बढ़ते भारत के विभिन्न पक्षों की एक विस्तृत श्रृंखला पर अपने विचार रखते हुए, माननीय राज्यपाल ने राष्ट्र निर्माण में भारतीय सशस्त्र बलों की महत्वपूर्ण भूमिका और योगदान का उल्लेख करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल भगत के सैन्य करियर की समृद्ध विरासत के उपाख्यानों का भी स्मरण किया।
माननीय राज्यपाल ने बाहरी क्षेत्रों में आकस्मिकताओं और रक्षा कूटनीति पहलों में भारतीय सशस्त्र बलों के उल्लेखनीय योगदान की सराहना की। उन्होंने युद्ध परिस्थितियों के बदलते स्वरूप, सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता और प्रौद्योगिकी संचार सहित नेट-सेंट्रिक और ग्रे-जोन वारफेयर पर भी अपने विचार साझा किए।
सीओएएस जनरल मनोज पांडे ने भी कार्यक्रम के दौरान अपना विशेष संबोधन दिया। उन्होंने उपस्थित लोगों को लेफ्टिनेंट जनरल भगत के अदम्य साहस की याद दिलाई, जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया था, जिसमें उन्होंने दुश्मन की गोलाबारी के बीच बारूदी सुरंगों को साफ किया था, तीन बार बारूदी विस्फोटों का सामना किया था और उन्होंने कान का पर्दा फट जाने के बाद भी अपने सौंपे गए कार्य को अंजाम देते हुए लगातार 96 घंटों तक अपने लोगों का नेतृत्व किया।
सीओएएस ने लेफ्टिनेंट जनरल पीएस भगत की दूरदर्शिता और सोच पर चर्चा करते कहा कि जनरल भगत ने एक प्रगतिशील विचारक और भविष्यवादी होने के नाते, लगभग सात दशक पहले अपनी तीन पुस्तकों ‘फोर्जिंग द शील्ड’ , ‘द शील्ड एंड द स्वोर्ड’ और ‘वाइल्डिंग ऑफ अथॉरिटी इन इमर्जिंग कंट्रीज’ में अपने व्यावहारिक रणनीतिक लेखन के माध्यम से परिवर्तन का सार प्रस्तुत किया था। ।
इस कार्यक्रम में पूर्व प्रमुख जनरल जेजे सिंह (सेवानिवृत्त), जनरल दीपक कपूर (सेवानिवृत्त) और जनरल एमएम नरवणे (सेवानिवृत्त) सहित बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इसके अलावा बड़ी संख्या में वरिष्ठ सेवारत अधिकारी, अनुभवी और नागरिक गणमान्य व्यक्तित्व भी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का आयोजन लेफ्टिनेंट जनरल पीएस भगत की विरासत से प्रेरणा लेने के लिए किया गया था, जिनके उत्कृष्ट कार्यों ने भारतीय सेना के इतिहास पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है।
कार्यक्रम के दौरान, लेफ्टिनेंट जनरल पीएस भगत की समृद्ध विरासत पर मेजर जनरल शशिकांत जी पित्रे (सेवानिवृत्त) द्वारा लिखित “द विक्टोरिया क्रॉस आइकन: विजन एंड लिगेसी” नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। लेखक ने जनरल भगत के सैन्य योगदान की महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए, उनकी सैन्य सराहनाओं, अवधारणा पत्रों और 1962 के युद्ध की उनकी आलोचना को ध्यान में रखते हुए, पुस्तक का परिचय बहुत ही शानदार तरीके से प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक एक शानदार सैन्य प्रमुख के रूप में जनरल भगत की गहरी रणनीतिक दृष्टि और अंतर्दृष्टि, असाधारण प्रशासनिक क्षमताओं, कुशल नेतृत्व गुणों और उनके द्वारा कमांड किए गए लोगों के साथ उनके घनिष्ठ संबंध को भी स्पष्ट करती है।