दिल्ली हाईकोर्ट ने इंदौर की बड़ी कोयला कंपनियों के खिलाफ जांच की मांग की है। इन कंपनियों को अपने व्यापारिक गतिविधियों में दुरुपयोग के आरोपों के लिए सीबीआई और राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) की तत्काल जांच करने के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही, भाटिया कोल की तीन कंपनियों के खिलाफ भी जांच के निर्देश जारी किए गए हैं।
इन कंपनियों की गतिविधियों का अनुसरण करते हुए पाया गया है कि इन्होंने पिछले कुछ सालों में कोयले के व्यापार में बड़ी वृद्धि की है। कंपनियों के सालाना लाभ की राशि 500 करोड़ रुपये से भी अधिक है, जो कि जांच के दायरे में हैं।
आदान-प्रदान की जाने वाली जांच के दौरान पाया गया कि ये कंपनियां अपने व्यापार में निर्दिष्ट कानूनी नियमों का उल्लंघन करती हैं। इन्होंने विदेशों से कोयले को धोखाधड़ी के जरिए मंगवाकर अधिक मूल्य में देश के उत्पादक कंपनियों को बेचा है। इससे न केवल देश को नुकसान हुआ है, बल्कि अन्य कंपनियों को भी नुकसान पहुंचा है।
इस जांच के माध्यम से सामने आया है कि ये कंपनियां विदेशों में अपने पैसे धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग, और व्यापारिक गतिविधियों के माध्यम से बड़ी धनराशि कमा रही हैं। इसका परिणाम यह है कि देश की जनता को महंगी बिजली का सामना करना पड़ रहा है, जिसका फायदा इन 40 कारपोरेट कंपनियों को हो रहा है।
इस संदर्भ में, हाईकोर्ट ने सीबीआई, DRI, और सरकार को सम्बंधित जांच में तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, लूट की गई धनराशि का परिणामस्वरूप धर्मिक ट्रस्ट और सरकार को टैक्स के रूप में जमा करने के लिए भी निर्देश जारी किए गए हैं।