मुआवजा तय हुआ, बैंक में जमा भी हुआ लेकिन मजदूरों को नहीं मिला |
हुकमचंद मिल के 5895 मजदूर और स्वजन 32 वर्षों से न्याय के लिए भटक रहे हैं। 12 दिसंबर 1991 को प्रबंधन ने मिल बंद कर दी थी। इसके बाद से ये लोग न्याय की उम्मीद में दर-बदर भटक रहे हैं। हुकमचंद मिल के मजदूरों के लिए कोर्ट ने मुआवजा तय किया, कोर्ट के आदेश पर मप्र गृह निर्माण मंडल ने मुआवजा बैंक खाते में जमा भी किया, लेकिन यह मजदूरों तक अब भी नहीं पहुंच सका है। मिल के हजारों मजदूर और उनके स्वजन हर रविवार मिल के गेट पर साप्ताहिक बैठक में शामिल होते हैं। हालांकि कोर्ट के आदेश और मुआवजे की राशि बैंक खाते में जमा होने के बाद उन्हें यह विश्वास है कि आज नहीं तो कल, भुगतान उनके खाते में पहुंच ही जाएगा।
हुकमचंद मिल का मामला करीब तीन दशक से न्यायालय में चल रहा है। वर्ष 2007 में हाई कोर्ट ने मिल मजदूरों के पक्ष में 229 करोड़, रुपये का मुआवजा स्वीकृत किया था। मजदूरों को यह राशि मिल की जमीन बेचकर दी जाना थी, लेकिन जमीन बिक नहीं पाई। हाल ही में नगर निगम और मप्र गृह निर्माण मंडल ने मिल की जमीन पर संयुक्त रूप से आवासीय और व्यावसायिक प्रोजेक्ट लाने को लेकर सहमति जताई है। मंत्री परिषद की बैठक में इस पर मुहर भी लग चुकी है। हालांकि नई
सरकार के गठन के बाद एक बार फिर यह प्रस्ताव मंत्री परिषद के समक्ष रखा जाना है। कोर्ट के आदेश के बाद मप्र गृह निर्माण मंडल मजदूरों और मिल के अन्य देनदारों के लिए 425 करोड़ 89 लाख रुपये बैंक में जमा करा भी सकी।
मृत मजदूरों की पत्नियों की भी मृत्यु हो चुकी है
की कोर्ट ने परिमापक की नियुक्ति की थी
कोर्ट ने मजदूरों का दावा स्वीकारते हुए करीब 229
करोड़ का मुआवजा स्वीकारा था
मार्च 2017 में कोर्ट ने दिलवाया था मजदूरों को मुआवजे के रूप में मप्र गृह निर्माण मंडल बैंक खाते में
जमा करा चुका है ।
यह रकम जिस बैंक खाते में जमा करवाई गई है, उसमें कोर्ट की अनुमति बगैर कोई लेनदेन नहीं हो सकता है। यही वजह है कि रकम बैंक खाते तक पहुंचने के बावजूद मजदूरों के पास नहीं पहुंचे हैं ।
सुनवाई जारी रहेगी या होगी खत्म, बहस पूरी इंदौर हुकमचंद मिल मामले में सोमवार को हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। शासन ने आवेदन प्रस्तुत किया। इसमें मांग की गई कि मुख्य सचिव के खिलाफ जारी अवमानना नोटिस निरस्त करते हुए अवमानना याचिका की कार्रवाई समाप्त की जाए। कोर्ट ने आवेदन पर सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया। इस आदेश के जारी होने के बाद ही तय होगा कि मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना याचिका में कोर्ट की कार्रवाई जारी रहेगी या नहीं। शासन के वकील ने कोर्ट को बताया कि मजदूरों और अन्य पक्षकारों की देनदारी का पैसा मप्र गृह निर्माण मंडल ने स्टेट बैंक आफ इंडिया की भोपाल शाखा में जमा करा दिया। है। कोर्ट के आदेश के बाद राशि वितरण की कार्रवाई की जा सकती है। हुकमचंद मिल के 5985 मजदूरों का इंतजार है कि ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा। हाई कोर्ट के आदेश के बाद मप्र गृह निर्माण मंडल ने मिल के देनदारों के लिए 425 करोड़ 89 लाख रुपये बैंक में जमा करा दिए है। इस बैंक खाते में कोर्ट की अनुमति के बगैर कोई लेनदेन नहीं हो सकेगा। यही वजह है कि पैसा खाते में जमा होने के बावजूद मजदूरों को इसका वितरण नहीं हो रहा है। सोमवार को इस मुद्दे को लेकर बहस होनी थी, लेकिन. टल गई।