देश की लगभग 2.50 लाख ग्राम पंचायतों ने वित्त वर्ष 2023-24 की अपनी ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) तैयार करके ईजीएस पोर्टल पर अपलोड कर दी है, ताकि योजना में प्रस्तावित कार्यों का निष्पादन किया जा सके। पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) द्वारा संबंधित पंचायत विकास योजनाओं की गतिविधियों पर 15 वें वित्त आयोग अनुदान को सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से किए गए व्यय को दर्ज करने के लिए ईजीएस पोर्टल और को एकीकृत किया गया है। वर्ष 2023-24 के दौरान 10.12.2023 तक लगभग 2.43 लाख पीआरआई ने पीआरआई से संबंधित कार्यों के निष्पादन के लिए ईजीएस-पीएफएमएस पोर्टल का उपयोग करके भुगतान किया है।
मंत्रालय ऐसी जानकारी का केंद्रीय रूप से रखरखाव नहीं कर रहा है। हालांकि, मंत्रालय ग्राम पंचायत (जीपी) स्तर पर उपलब्ध केंद्रीय वित्त आयोग और केंद्र सरकार की योजनाओं/कार्यक्रमों से संबंधित सभी संसाधनों पर विचार करते हुए व्यापक ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार करने का राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को महत्व समझा रहा है। ईग्रामस्वराज पोर्टल के योजना मॉड्यूल में योजनाओं की तैयारी के लिए राज्य वित्त आयोग अनुदान, ग्राम पंचायत के स्वयं के स्रोत से राजस्व और राज्य सरकारों की योजनाओं/कार्यक्रमों के संसाधनों को शामिल करने के प्रावधान हैं।
पंचायत राज्य का विषय है, इस कारण ग्राम पंचायत विकास योजना के तहत निष्पादित कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण करना राज्य सरकार का एकल उत्तरदायित्व है। हालांकि, मंत्रालय ने वित्त आयोग अनुदान के सामाजिक अंकेक्षण के लिए दिशानिर्देश तैयार कर उन्हें राज्यों के साथ साझा किया है, ताकि पीआरआई द्वारा इन अनुदानों के उपयोग में सार्वजनिक जवाबदेही सुनिश्चित हो सके। इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने ई-पंचायत मिशन मोड प्रोजेक्ट (एमएमपी) के तहत ऑडिट ऑनलाइन नामक एक एप्लिकेशन शुरु किया है। यह पंचायत के खातों को ऑनलाइन ऑडिट करता है और आंतरिक और बाहरी ऑडिट के बारे में विस्तृत जानकारी दर्ज करता है। लगभग 2.33 लाख ग्राम पंचायतों ने इस पोर्टल के माध्यम से वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अपना ऑनलाइन ऑडिट पूरा कर लिया है, जो सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है।
पंचायत खरीद में पारदर्शिता लाने के लिए ई-ग्राम स्वराज को सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के साथ एकीकृत किया गया है। यह एकीकरण पंचायतों को ई-ग्राम स्वराज प्लेटफॉर्म का लाभ उठाते हुए जीईएम के माध्यम से सामान और सेवाएं खरीदने में सक्षम बनाएगा। इसके अलावा, यह स्थानीय उत्पादकों/सहकारी समितियों/कारीगरों/स्वयं सहायता समूहों आदि को अपने उत्पाद सीधे सरकारी संस्थानों को बेचने की अनुमति देगा, जिससे “वोकल फॉर लोकल” की भावना को बढ़ावा मिलेगा। अब तक, ई-ग्राम स्वराज-जीईएम इंटरफ़ेस पर 72,000 से अधिक प्राथमिक उपयोगकर्ता और 32,000 माध्यमिक उपयोगकर्ता पंजीकृत हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त, ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया में राज्यों की सहायता के लिए, विभिन्न राज्यों में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए हैं।
यह जानकारी केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।