आरटीओ में हर रोज लगभग 1000 ऑटो का रजिस्ट्रेशन होता है। इस कारण रोज नए ऑटो सड़क पर उतरते हैं। और इनका जाम शहर के विभिन्न चौराहा और व्यस्त मार्गों पर लगा रहता है
इन ऑटो के कारण जवाहर मार्ग सुभाष मार्ग और कृष्णापुर पुल एमजी रोड पर जाम की स्थिति रोज बनी रहती है।
इंदौर की ट्रैफिक पुलिस विभिन्न संस्थाओं के वॉलिंटियर्स भी इन ऑटो के कारण अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं और स्थिति अब इनके नियंत्रण से बाहर होती जा रही है।
शाम के समय जीपीओ चौराहे भंवरकुआ चौराहे और नौलखा चौराहे पर इन ऑटो चालकों के द्वारा जाम लगाया जाता है।
जबलपुर हाईकोर्ट के परिपालन का आदेश होने के बाद भी नहीं हो रहा इसका पालन
इंदौर आरटीओ अधिकारियों के अनुसार जबलपुर हाईकोर्ट ने 2021 में ऑटो संचालन के लिए एक आदेश पारित किया था और उसके तहत एक नियमावाली दी गई थी अकेले इंदौर शहर में लगभग 15000 संचालित हो रहे हैं जिसमें से करीब 3000 ऑटो अवैध रूप से संचालित किया जा रहे हैं इनमें बैटरी वाले ऑटो की संख्या ज्यादा है।
जबलपुर हाईकोर्ट ने ऑटो के संचालक पर निम्न बिंदु पर आदेश दिए
- सीएनजी ऑटो के संचालन की प्राथमिकता दी जाए।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में जो ऑटो संचालित हो रहे हैं उनके रंगों में भिन्नता होनी चहिए।
- बैटरी से संचालित होने वाले ऑटोस के संचालन के लिए शहरी सीमा में विभिन्न मार्गो को सीमित किया जाए।
- ऑटो संचालकों द्वारा अटोस में किसी भी तरह का मोडिफिकेशन नहीं किया जा सकता।
- अटोस में सवारी की ओवरलोडिंग और किसी भी तरह के यातायात के नियमों को तोड़े जाने की स्थिति में ड्राइवर के अलावा ऑटोस मलिक पर भी ₹1000 का अर्थदंड लगाया जाए।
- ओटोज में किसी भी तरह का म्यूजिक सिस्टम लगाए जाने की स्थिति में या यातायात व्यवस्था का उल्लंघन करने पर परमिट निरस्त किया जाए।
- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या के अनुरूप और अन्य लोक परिवहन की उपलब्धता के अनुसार ऑटो के परमिट दिए जाना चाहिए और संचालन किया जाना निश्चित किया जाए।
अगर इन नियमों के पालन का निर्धारण निकट भविष्य में हमारे परिवहन कार्यालय और यातायात पुलिस द्वारा नहीं किया जाता है तो इंदौर शहर में ऑटोस के कारण यातायात की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।