प्लॉट बेचने के एक मामले में उपभोक्ता फोरम ने हाउसिंग बोर्ड के खिलाफ फैसला दिया है। दरअसल खरीदार ने जो प्लॉट हाउसिंग बोर्ड से लिया था उस पर अतिक्रमण हैं और हाउसिंग बोर्ड बदले में उसे दूसरा प्लॉट देने की बजाय लगातार भ्रमित कर रहा था। उपभोक्ता फोरम ने कहा है कि बोर्ड खरीदार को प्लॉट के बदले प्लॉट दे या उसकी कीमत अदा करे। साथ ही फोरम ने खरीदार को क्षतिपूर्ति के रूप में दो लाख का मुआवजा भी देने का आदेश दिया है।
मामला हाउसिंग बोर्ड के इंदौर सर्कल के तहत लगने वाले धार संभाग के पीथमपुर बगदून का है। कान्यकुब्ज नगर इंदौर निवासी सुमन तिवारी ने 2018 में हाउसिंग बोर्ड से यहां अहिल्या नगर की एमआईजी कॉलोनी के तहत आने वाला प्लॉट नंबर 172 जिसका आकार 150 वर्गमीटर (1605 वर्गफीट) है, लिया था। उनके प्लॉट के बगल में दीपक उपाध्याय का भूखंड क्रमांक 171 है, जिसने उनके प्लॉट के कुछ हिस्से पर भी कब्जा कर लिया था। इससे तिवारी के प्लॉट का क्षेत्रफल 138 वर्ग
मीटर (1476 वर्गफीट) ही रह गया। मामले में जब तिवारी ने हाउसिंग बोर्ड में शिकायत की तो हाउसिंग बोर्ड ने दीपक उपाध्याय को अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस भी दिया, किंतु अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका। इसे लेकर तिवारी ने सीएम हेल्पलाइन और कलेक्टर जनसुनवाई में भी शिकायत की, किंतु स्थिति जस की तस रही। बाद में बोर्ड अधिकारियों ने अतिक्रमण हटाए बिना सुमन तिवारी के नाम से आधिपत्य लेटर जारी कर दिया, लेकिन तिवारी ने कब्जा नहीं लिया। उन्होंने सितंबर 2020 में उपभोक्ता फोरम में केस लगाया। उन्होंने फोरम को बताया कि
- यह दिया फैसला… जिला उपभोक्ता फोरम ने 27 सितंबर को फैसला दिया कि बोर्ड सुमन तिवारी को इस प्लॉट की कीमत का प्लॉट किसी अन्य स्थान पर उपलब्ध करवाए। यदि बोर्ड ऐसा नहीं कर पता है तो उनके प्लॉट की कुल कीमत 9.18 लाख को 18 प्रतिशत ब्याज के साथ 1 महीने में अदा करे। ब्याज की गणना तब से की जाएगी, जब उन्होंने प्लॉट बुक किया था यानी जून 2018 से इसके साथ ही तिवारी को क्षतिपूर्ति के रूप में दो लाख रुपए और अदा करने का भी आदेश दिया। इस पर भी 6 फीसदी की दर से ब्याज दिया जाएगा और यह भी बोर्ड को 1 महीने के भीतर ही अदा करना है। इस संबंध में हाउसिंग बोर्ड के डिप्टी कमिश्नर महेंद्र सिंह बात करने की कोशिश की, लेकिन उनका मोबाइल नहीं लगा।
उन्हें प्लॉट आज तक नहीं मिला है। इसके विपरीत बोर्ड के अधिकारियों ने पश्चिम में सड़क की जमीन में से करीब एक मीटर तिवारी के प्लॉट में जोड़कर उन्हें कब्जा देने की कोशिश की किंतु उन्होंने लेने से मना कर दिया। बोर्ड के अधिकारियों ने फोरम के सामने तर्क दिया कि सड़क की चौड़ाई 6 मीटर है, किंतु तिवारी ने जो दस्तावेज एवं अन्य प्लॉट धारकों की जो रजिस्ट्रियां रखीं, उससे साफ हो गया कि पश्चिम की सड़क की चौड़ाई 7 मीटर है। फोरम ने माना कि बोर्ड ने गलत तथ्य रखे और साथ ही उनकी तरफ से सेवा में भी कमी की गई है।