सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया के राज्यसभा के लिए निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने मध्य प्रदेश राज्य से राज्यसभा के लिए केंद्रीय नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया (Jyotiraditya M Scindia) के चुनाव को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी।
सिंधिया के खिलाफ दायर चुनाव याचिका में एक प्रारंभिक मुद्दे को चुनौती दी गई थी कि क्या केवल एफआईआर दर्ज होने से एक लंबित आपराधिक मामला बनता है, जिसका खुलासा संभावित उम्मीदवार के नामांकन पत्र में किया जाना चाहिए। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और उस आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया गया। उक्त याचिका को खारिज करते हुए, खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा आदेशों में हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनाया गया है।
ज्योतिरादित्य एम सिंधिया का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील एनके मोदी और सिद्धार्थ भटनागर के साथ-साथ वकील फरेहा अहमद खान और करंजावाला एंड कंपनी एडवोकेट्स की एक टीम ने किया। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप जॉर्ज चौधरी ने किया। जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है।
अदालत ने कहा कि कांग्रेस नेता गोविंद सिंह की याचिका में दखल देने का आधार नहीं बनता है। गोविंद सिंह ने 19 जून, 2020 को सिंधिया की उम्मीदवारी को चुनौती दी थी । गोविंद सिंह ने अपनी याचिका में कहा था कि शपथ पत्र के साथ नामांकन पत्र में सिंधिया ने भोपाल में दर्ज एफआइआर के संबंध में जानकारी नहीं दी थी। आरोप लगाया गया था कि सिंधिया ने अपने नामांकन पत्र में एफआइआर की जानकारी नहीं देकर तथ्यों को छिपाया । यह भ्रष्ट आचरण की तरह है