जिला पर्यावरण नियोजन में जलवायु परिवर्तन संबंधी संभाग स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न
इंदौर,
संयुक्त आयुक्त विकास श्री डी.एस. रणदा की अध्यक्षता में एआईसीटीएसएल सभागृह में आज जिला पर्यावरण नियोजन में जलवायु परिवर्तन एवं सतत विकास को समाहित करने संबंधी संभाग स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई।
यह कार्यशाला पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) तथा द क्लाईमेट ग्रुप द्वारा आयोजित की गई थी। कार्यशाला में इंदौर सहित खंडवा, बुरहानपुर, आलीराजपुर, झाबुआ, धार, खरगोन, बड़वानी जिलों के राजस्व विभाग, वन विभाग, कृषि विभाग, लोक यांत्रिकी विभाग, पशुपालन एवं पशु चिकित्सा उद्यानिकी विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास एवं शहरी प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने सहभागिता की।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए श्री रणदा ने कहा कि पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ रहा है, जिसका प्रभाव मनुष्यों और पशु-पक्षियों पर भी पड़ रहा है। वर्ष 2015 में आयोजित पेरिस सम्मेलन में कहा गया कि पृथ्वी तेजी से गर्म हो रही है,
जिससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इसका जिम्मेदार कहीं न कहीं हमारा समाज ही है, क्योंकि मनुष्य प्रकृति का दोहन करने की बजाय उसका शोषण अधिक कर रहा है। इस वजह से वर्षा का चक्र बदल चुका है। हवा, पानी और मिट्टी तीनों प्रदूषित हो चुकी है। कार्बन का अधिक उत्सर्जन हो रहा है। वातावरण में आये इस परिवर्तन को ही जलवायु परिवर्तन कहा गया है।
अगर हम अब भी नहीं चेते तो, आने वाली पीढ़ी कभी भी हमें माफ नहीं करेंगी। श्री रणदा ने कहा कि सभी अधिकारी अपने-अपने जिले का पर्यावरण प्लान बनायें, जिसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन, जल गुणवत्ता प्रबंधन योजना, घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन योजना, औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन योजना, वायु सूचकांक प्रबंधन योजना, ध्वनि प्रदूषण प्रबंधन योजना आदि विषय हों।
क्लाईमेट ग्रुप दिल्ली की विषय विशेषज्ञ सुश्री शिखा धवन ने पावरपाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से हो रहे दुष्प्रभावों को रेखांकित करते हुए कहा कि बढ़ती आबादी, जंगलों का कटाव, नरवाई के जलाने, शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और बढ़ते वाहनों की संख्या से प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है।
एप्को के विषय विशेषज्ञ श्री रवि शाह ने कहा कि बेहतर पर्यावरण के लिए सभी विभाग मिलकर कार्य कर रहे हैं, लेकिन कौन क्या कर रहा है, इसको लेकर ही यह कार्यशाला आयोजित की गई।
ताकि हम अपने विचार एक-दूसरे के साथ साझा कर सकें। श्री शाह ने कहा कि मध्यप्रदेश में रामसर साईट के तहत पाँच वैटलेंड भूमि है, जो कार्बन को अवशोषित करने का कार्य कर रही है। इसलिए हमें छोटी-छोटी जल संरचनाओं को संरक्षित करना जरूरी है।
विषय विशेषज्ञ श्री वैभव कुमार ने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए हम सबको मिलकर कार्य करना होगा। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अविनाश करेरा ने कहा कि घरेलू कचरे को छांटना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन इस कार्य को इंदौर नगर निगम बहुत अच्छे से कर रहा है,
इसके लिए वह बधाई के पात्र है। किसी भी कचरे को रियूज और रिसाईकल करके हम प्राकृतिक स्त्रोतों को कुछ हद तक बचा सकते हैं।
प्रशिक्षण कार्यशाला में सभी जिलों को अलग-अलग विषयों पर जिला पर्यावरण नियोजन बनाने का विशेष प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला में शामिल लगभग 80 प्रतिभागियों ने अपने विचार एवं सुझाव प्रस्तुत किये।