रिपोर्ट नलिन दीक्षित
दि रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए घातक हमले की जिम्मेदारी ली है।
जिसमें 28 लोग मारे गए और 20 से अधिक घायल हुए।
टीआरएफ क्या है?
TRF की शुरुआत 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के तुरंत बाद हुई।
यह खुद को एक स्थानीय कश्मीरी “प्रतिरोध” समूह बताता है।
1पल के 1 लेकिन हकीकत में यह पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का नया नाम और चेहरा है।
नाम बदलने की वजह
सीधी सी बात है । अंतरराष्ट्रीय निगरानी से बचने के लिए।
लश्कर के नाम से बचकर TRF खुद को “स्थानीय” और “धर्मनिरपेक्ष” दिखाता है।
ताकि इसे वैश्विक आतंकवाद की सूचियों से बचाया जा सके और इसका एजेंडा आसानी से आगे बढ़ाया जा सके।
पाकिस्तान की भूमिका
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI पर TRF के फंडिंग, ट्रेनिंग और हथियार देने का आरोप है। यह क्लासिक प्रॉक्सी वॉर का उदाहरण है। पाकिस्तान सीधे हमला किए बिना भारत पर हमला करवाता है।
और खुद को अलग दिखाने की कोशिश करता है।
TRF का एजेंडा
कश्मीर को अस्थिर करना
आम नागरिकों और प्रवासियों को निशाना बनाना।
चुनाव प्रक्रिया को बाधित करना
भारत-विरोधी प्रोपेगेंडा फैलाना।
प्रतिरोध के नाम पर फिर से आतंकवाद को भड़काना।
आज़ादी की लड़ाई” के बहाने क्षेत्र में अराजकता बनाए रखना।
TRF किसी आज़ादी की लड़ाई का हिस्सा नहीं है।
यह सिर्फ लश्कर-ए-तैयबा का बदला हुआ चेहरा है और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की एक और शक्ल।