रिपोर्ट नलिन दीक्षित
क्या देर रात अकेली माता बहने या परिवार भी सफर कर सकते हैं।
क्या हम घर से निकले और सुरक्षित घर से लौट आएगे एक्सीडेंट से हम बचे रहेंगे।
क्या हम अपने घर बंद करके कुछ दिनों के लिए छुट्टी मनाने जा सकते हैं चोरी नहीं होगी।
क्या सड़क पर चलते हुए हमारी मां बहनों से गले से चैन या मोबाइल नहीं छिनी जाएगी।
क्या चोरों से हमारे वाहन सुरक्षित रहेगे।
क्या हमारे शहर में मिलावटी सामान नहीं बिकेगा।
क्या हमारे शहर में पर्यटकों को लूटने के बजाय उन्हें संरक्षण और सहायता देने का वातावरण बनेगा।
क्या हमारे शहर मैं विभागीय कार्य बिना रिश्वतखोरी के होंगे।
क्या हमारे शहर के व्यापारी घटिया माल नहीं बेचेंगे।
क्या हमारा शहर मिलावटखोरी, बेईमान व्यापारी या कारोबारी से मुक्त रहेगा।
क्या हम कोई भी कारोबार करें और हमारा कारोबार चलने पर हमें किसी को चंदा नहीं देना पड़ेगा।
क्या हम किसी पावरफुल व्यक्ति के गलत कार्य की शिकायत करेंगे तो उस शिकायत पर कार्रवाई होगी उल्टा हम पर तो कहीं गाज नहीं गिरेगी।
क्या सड़क पर जाते वक्त कोई मोटरसाइकिल या रिक्शा वाला हमारी चलती गाड़ी के सामने अचानक एकदम से आकर आगे निकलेगा और टोकने पर हमे बिना गाली दिए निकल जाएगा।
सोचिए और अपने शहर को इन पैमानों पर पाइये की आप कितने खुशनसीब है।